✨️कोई साथ ✨️
✨️कोई साथ ✨️


रो कर खुद ही चुप जाती हूं।
क्योंकि जिंदगी भर कोई चुप कराने वाला साथ नहीं होता है।
गिर कर खुद ही उठ जाती हूं।
क्योंकि जिंदगी भर कोई उठाने वाला साथ नहीं होता है।
टूट कर खुद ही जुड़ जाती हूं।
क्योंकि जिंदगी भर कोई जोड़ने वाला साथ नहीं होता है।
पहचान सबसे रखती हूं।
लेकिन चलती हमेशा अकेले ही हूं।
क्योंकि जिंदगी भर कोई साथ चलने वाला नहीं होता है।