कन्यादान
कन्यादान
कभी सोचती हूँ
तो सोच में डूब जाती हूँ,
बेटी की विदाई को
क्यों दिया कन्यादान का नाम !!
बेटी कोई वस्तु नहीं
बेटे से भी कम नहीं
फिर ये दान क्यों?
बेटे की शादी
पुत्रदान क्यों नहीं !
कहते हैं
भाग्यशाली वह घर
जहाँ होती हैं बेटियाँ
फिर ......
उन्हीं को कर दो दान ?
कैसी ये विडम्बना
जब बेटा बेटी एक समान
दोनों ही घर की शान
तो क्यों कहें कन्या दान !