कलयुग
कलयुग


कलयुग है साहब,ये कलयुग,
यहाँ जान से प्यारी आन है ,
और सच्ची मुस्कान से ज़्यादा झूठी शान है ।
कलयुग है साहब, ये कलयुग ,
यहाँ झूठ की कीमत और सच का तमाशा है;
जिसका कोई मोल नहीं,बस दिखावा है।
कलयुग है ये कलयुग ,बड़े ही अजीब कायदे हैं,इनके ,
यहां भूख से जयेदा धर्म पर बहस होती है,
यहां रिश्तों से जयेदा अहम् की जरूरत होती है।
कलयुग है साहब ये कलयुग।