कल्याण के साधन
कल्याण के साधन
केदारखंड हिमाच्छादित
जहॉं सिद्धों का नित्य विहार है,
तप- लीन हैं इस नारद क्षेत्र में
अलकापुरी विशाला के निकट
भगवत् सेवा चर्या सपर्या में संलग्न
अर्चना उपासना वन्दना साधना
स्तवन के लिए नियुक्त देवर्षि नारद।
बदरी बनकर वृन्दा तुलसी बनकर
उनकी नित्य सेवा में समर्पित,
वैभव विस्तार देने वाली देवी लक्ष्मी
भू वैकुण्ठलोक के अधिपति वेंकटेश ,
विमल तरंगिणी गंगा का अमिय प्रवाह
भगवान् को समर्पित भारतीय संवेदनायें।
मानवीय चेतना का उत्थान हो,
जीवन का साफल्य हो, समग्रता हो ,
अपने अन्तःकरण की उच्चता उपलब्ध हो,
ईश अभिरुचि ,श्रवण निष्ठा, उद्दाम भावना
ये कल्याण के अनेक साधन हमारे पास हैं
नर से नारायण बनने की अनन्त संभावनायें हैं।
ईश्वर की शुभ्रता भव्यता को साधन द्वारा
सिद्धि रूप में उपलब्ध किया जा सकता,
प्रकृति को वशीभूत किया जा सकता
देवसत्ता भी प्रसन्न हो अधीन हो जाये
ऐसे बहुत साधन हैं मानव के पास
अन्तःकरण की निर्मलता ,सहजता ,निष्कामता।