कलम –कविता संवाद
कलम –कविता संवाद
कलम- कविता दोनों बैठे बतियाते हैं ,
दोनों ने कैसे साथ निभाया हमको ये बताते हैं ,
कलम –मेरे बिन तुम्हारा जीवन सूना हैं ,
कविता –मैं हूँ संग तुम्हारे हम दोनों का प्यार दूना है ,
कलम –कह दी तुमने बात जो थी दिल में मेरे ,
तुम बिन मैं नहीं मुझ बिन तुम लगते अधूरे ,
कविता –मिल जाए हम तो सपनें भी हो जाए पूरे ,
कलम –हमने मिलकर इतिहास रचाया है ,
कविता –शत्रुओं को भी घुटनों पर बिठाया है ,
कलम –हम दोनों ने मिलकर रूठों को भी मनाया है ,
कविता –सच कहते हो ,कई –कई बार प्रेम गीत भी गया है ,
कलम –मैंने दिल के अल्फ़ाज लिखे ,
कविता –
हाँ उनके भाव प्रियवर के चहरे पर दीखे ,
कलम –सत्य पथ पर चलना ,मुश्किलों से लड़ना
हमने समाज को सिखाया है ,
कविता –मुझे पढ़ लोगों ने जीवन में नया विश्वास पाया है ,
कलम –आज सोच रहा हूँ कुछ नया है करना जीवन में ,
कविता –कहो क्या सोच रहे हो तुम अपने मन में ?
कलम –चलो कुछ खास लिखते हैं ,
जो बदल दे वो वो इतिहास लिखते हैं ,
कविता –कुछ लिखो ऐसा जो जीवन में खुशियाँ लाता है ,
कलम –आज लिखूं मैं कुछ ऐसा जो हर जीवन को भाता है ,
कविता –हम दोनों हैं एक दूसरे के पूरक ,
कलम –जो हमको लड़वाए वो कहलाए मूर्ख I