कलम की ताक़त
कलम की ताक़त
वीर रस से लेकर श्रृंगार रस तक
सभी रचनाएं हुई कलम की नोक से ,
बड़ी बड़ी क्रांति हुई कलम की नोक से,
शांति भी हुई तो कलम की नोक से ,।
कलम की ताकत का कोई छोर ना था ,
जब तक गंदी राजनीति का शोर न था ,
अब तो कलम की ताकत कुंद हो गई है ,
पैसों और महाबलियों के आगे सुस्त है, ।
ताकत बहुत हुआ करती थी
कलम की धार में
जब तक वह स्वच्छंद थी
लेखक के हाथ में,।।