कलियाँ मुस्कुराती हैं
कलियाँ मुस्कुराती हैं
हर कली मन की मुस्काती,,
मन में याद पिया की आती।
मधुर मिलन के क्षण वो प्यारे,
सारे बंधन जिनसे लोग हारे।
उन पल की सिहरन होती है,
यादों में सुध-बुध खोती है।।
द्वार अभी तक खड़ी हुई है।,
किस उलझन में पड़ी हुई है।
अर्द्ध चेतना ही है तन में,
किसे बताऊँ जो है मन में?
बनी सीप का बो मोती है,
यादों में सुध-बुध खोती है।।