कलापिनी की बारिश
कलापिनी की बारिश
ए बारिश तू ऐसे ही बरसना
उर्मि को लिए कलापिनी में
सुरभि को शांत करना
आज ख़ूब बरसना . . !
मयन से आशीष लेकर
खूब लिपटना
श्यामा का सुर लिए
आज खूब बसना . . !
प्रियसी का वंशीधर बनकर
तथाकथित समाज को चिढ़ाते हुए
खूब निमग्न होकर प्रेम धुन लिए
आज ख़ूब बरसना . .!