कितना
कितना
दूसरों में कमियां निकालना कितना सरल है
पर खुद की कमियां बताना कितना गरल है
जो भी दुनिया में यह काम करता सज्जन है,
वो ही पिलाते है, वाकई में सबको गंगाजल है
यूँ भी दुनिया में भांति-भांति के बने महल है
हर किसी के दिल में भी न खिलते कमल है
दूसरों में कमियां निकालना कितना सरल है
गंदगी में खिलनेवाले कमल हुए आज बंद है,
कमी बताने वाले कमल हुए ज्यादा उज्ज्वल है
दूसरों में कमियां निकालना कितना सरल है
जब आती अपनी बारी आंख में चुभता काजल है
दूसरों में कमियां निकालना कितना सरल है
ध्यान न दे, यूँ ही कमी बतानेवाले होते बुजदिल है
जो कमीयां बताकर भी बढ़ाते हमारा बल है
वो ही होते सच्चे दोस्त दुनिया में निश्छल है
हृदय में अपनी रोशनी से करते वो हलचल है
जिनके इरादों में होता सुधारने वाला गंगाजल है
दूसरों में कमियां निकालना कितना सरल है
पर हर कमी निकालने वाला नहीं होता रत्न है