किसने रोका है तुम्हें
किसने रोका है तुम्हें
क्यों हुआ है तू निराश ,
क्यों छोड़ दी है तूने जीतने की आस I
इतना भी क्या कठिन है जीवन ?,
मन में तेरे भरी है ऊर्जा अनल I
आसमां है विस्तृत विशाल ,
जला मन में विश्वास की मशाल I
संघर्ष से न डर , साहस कर ,
भय भी डरे ऐसा आत्मविश्वास मन में भर I
जहाँ थक कर बैठ गया था तू ,
उठ वहीं से फिर शुरुवात कर तू I
तू हारा नहीं है न हार सकता है ,
मंजिल को पाये बिना कैसे तू चैन पा सकता है I
अपनी ताकत पहचान ,
भर होंसलों की उडान I
किसने रोका है तुझे ,
बन अपना भाग्यविधाता तू आप I
किसने रोका है तुझे ........