किसान कहता है
किसान कहता है
मुद्दे की बात से,
मुद्दा भटका देता है,
मेरे देश का नेता,
बे-बात ही रो देता है ।
मेरी जमीन को माँ,
और मुझे भाई बना लेता है,
वो वोट के बहाने,
मेरा जिस्म काट लेता है ।
संसद में वो मेरे हक की,
लड़ाई लड़ता है,
मुआवजे की माँग पर,
वो मुझे गोली मार देता है ।
कितना मजबूर कर दिया,
मुझे मर जाने के लिए,
मेरी आत्मा बेच दी,
उसने अपनी कुर्सी बचाने के लिए ।