क़िरदार
क़िरदार
रोज़ रोज़ एक नया किरदार करता हूं।
अपने हों या पराए सभी से बेशुमार प्यार करता हूं ।।
खुद हूं अधूरा पर कोशिश पूरी हर बार करता हूं ।
आगे जाने की ज़िद है मेहनत से अब मैं कहाँ डरता हूं ,
इसी जद्दोजहद में हर बार रहता हूं।।
डर नहीं है मुझे जमाने से ।
ज़िद से जिंदा हर बार रहता हूं,
रोज़ रोज़ एक नया किरदार करता हूं।।
लहराएगा मेरे नाम का भी परचम ,
हिमालय से ऊंचा कद हों मेरा ऐसी कोशिश हर बार करता हूं।।
हिमालय से ऊंचा हमारा भी किरदार होगा ,
एक कदम आसमां के उस पार होगा ,
कर हिम्मत थोड़ा हौसला बढ़ा ,
की ख़ुद खुदा भी हैरान तुझसे हर बार होगा,
उसे भी तो पता चले की कैसा इन्सान बनाया है उसने,
की मन्नत से नहीं खुद के हौसले से बढ़ता हर क़दम हर बार होगा।।