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राही अंजाना

Abstract

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राही अंजाना

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कीमत जानते नहीं

कीमत जानते नहीं

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कीमत कितनी है गिनती कितनी जानते नहीं,

मांगते हैं उनसे जो चेहरा कोई पहचानते नहीं, 


उम्र के पहले पड़ाव पर ही सीख लेते हैं वो सब, 

जो फैलाते हैं बस हाथ सम्बन्ध कोई मानते नहीं,


बटोर लेते हैं मिलता है जो भी जैसा भी कहीं से,

बोलते हैं साफ़ जो कभी भी पानी छानते नहीं।


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