ख्वाहिश और हिम्मत
ख्वाहिश और हिम्मत
बहुत सी ख्वाहिशे थी जनाब ,पर पूरा न हुआ ।
धरे के धरे रह गये सारे सपने, अरमान अधूरा जो रहा ।।
सोचा था गाड़ी होगा बगंला होगा ,होंगे साथ अपने ।
पर किसमत ने ऐसा कंगला किया ,रह गये सारे सपने ।।
लेकिन ऐ हमदम हिम्मत तु साथ है मेरे जब तक।
लडता रहूंगा किसमत से आखिरी साँस तब तक।।
टूटा तो मैं कई बार, पर टूट कर जुडता रहा ।
जिन्दगी का परिन्दा जैसे दूर गगन में उडता रहा ।।
अब तो जिंदगी है ऐसे चौराहों की मोड़ पर ।।
और दिल कहता है ,अब मैं जाऊं किस किस रोड पर।।
कैसे बताऊँ क्या हालात हैं इस दर्द दे दिल के ।
कैसे जी रहा हूँ जिन्दगी पल एक एक गिन के।
ऐसे बहुत से जज्बात हैं दिल के अन्दर छुआ ।
अभी जख्म अन्दर का मेरे भरकर पूरा न हुआ।।
हाँ साहब बहुत सी ख्वाहिशें थी दिल में जो पूरा न हुआ ।
धरे के धरे रह गये सारे सपने, अरमान सारा अधूरा रहा।
