खूबसूरती
खूबसूरती
खूबसूरती कभी शब्दों की भाषा में,
हो सकती परिभाषित नहीं।
ये तो नजरों को छू,
रूह में बस जाती है कहीं ना कहीं।
कीचड़ में खिलने वाला कमल,
क्या होता किसी को पसंद नहीं!
अपनी खूबसूरती की वजह खुद बनो,
चाहे हो किसी को स्वीकार नहीं!
सूरज, चांद ना बन सको ना सही,
लेकिन अपने जीवन के,
टिमटिमाते सितारे बन ,
किसी का उदाहरण बन
सकते हो कहीं ना कहीं।
सागर के भीतर भी,
एक खूबसूरत सा संसार बसता है कहीं ।
लेकिन जो तूफानी लहरों को,
काट पार कर गया,
भीतर का सौंदर्य भरा
संसार देखता केवल वही।
प्रकृति की छटा रहती हर वक्त निराली ,
चाहे रौंद ले उसको कितना भी कोई
क्योंकि खूबसूरती होती
किसी की मोहताज नहीं।