खूबसूरत कशीदे
खूबसूरत कशीदे
मिले थे बरसों पहले जिनसे, वो यूं अक्सर याद आते हैं
दिल में दबे अरमां जैसे किश्तों में बाहर आते हैं,
एक टीस, एक खालिश सी महसूस होती है अंदर जैसे
एक लफ्ज़ ना कह पाए जिन्हें उन्हें ग़ज़ल लिखी हो जैसे,
वो जवां थे इस क़दर, हम भी हसीं कम ना थे
मौसम भी उन दिनों जैसे अब्रे इश्क यूं बरसाए थे,
वो गीली, सिली सी मुहब्बत, मानो परवान चढ़ ही जाती
गर हालातों की आंधी उसे आधे रस्ते से ना गिराती,
वक्त ठहरा, हर मौसम थम सा गया, तारीख वहीं की वहीं है
ये अब तक गुज़रे पल नरम रेशम से बने खूबसूरत कशीदे हैं !