खूबसूरत हो तुम
खूबसूरत हो तुम
लिखता हूं जो ग़ज़ल उसका तसव्वुर हो तुम ।
तुम्हें क्या पता किस तरह खूबसूरत हो तुम ।।1।।
मेरे सिवा जहां में ना चाहे तुम्हें कोई और ।
मेरी चाहत की पाकीजा मोहब्बत हो तुम ।।2।।
शुक्र है खुदा का जिसने भेजा जमीं पर तुम्हें ।
शिद्दतो से की है जो मैंने वह इबादत हो तुम ।।3।।
करते हैं ऐहतराम तेरा खुदा के बाद जहां में ।
देखे हर सिर झुक जाए ऐसी शराफत हो तुम ।।4।।
जिंदगी जीने के लिए दौलत तो कमाता हूं मैं ।
खुदा जानता है मेरी असली तिजारत हो तुम ।।5।।
उफ ये सादगी तुम्हारी कातिल ना बन जाये ।
बड़ी ही खूबसूरत हुस्न की कयामत हो तुम ।।6।