खुशनसीब
खुशनसीब
खुशनसीब हैं परिवार जहां भाई-बहन का प्यार होता है,
अपने आप से पहले एक दूजे के हित का विचार होता है।
कभी मिठास कभी खटास कभी भड़ास के साथ बढ़ता है,
उम्र के साथ-साथ दोनों को इस प्यार का अंदाज़ पड़ता है।
भाई का प्यार बहन की उम्मीदों का अंकुर होता है,
बहन का प्यार जैसे सरगम का पहला सुर होता है।
मां बाप के बाद भाई ही मायके का आधार होता है
बहन भाई का मान तो भाई बहन का हार होता है।
भाई को बहन मां का जैसे साया है लगती,
बहन भाई मे पिता की छायाप्रति है तकती।
हंसी और दुख दोनों आँखें हैं एक साथ भरती,
यह रिश्ता है अटल जैसे हो आकाश और धरती।
आज वक्त के चक्र ने सारे एहसास छीन लिए हैं,
दूरियों की मजबूरियों ने रिश्ते को नए रंग दिए है।
अब भाई-बहन के प्यार को उपहार से तोला जाता है,
मायके से विदाई बाद बहन को पराया बोला जाता है।
बिन भाई के बहन है रोती और बिन बहन के भाई रोता है।
सहेज रखो ये बंधन प्यार का ये सबके पास नहीं होता है।
होता हैं नसीब ये प्यार तो धनवान होने का एहसास होता है,
यह तो अनोखा एहसास है, रिश्ता यह खास होता है।
