खुशियाँ
खुशियाँ
महक रहा घर आँगन पर्वों की बहार से
बिखर रहीं खुशबू रंगों की फुहार से
द्वेष-भाव भूलकर मिलन का त्यौहार आया
चहक रहा हर कानन हम सबके प्यार से
थोड़ी सी ये खुशियाँ जीने का अंदाज़ सिखा देती हैं
जीवन को नई उमंगों और तरंगों से भर देती हैं
दिल में प्यार भरता है फूलों के लहलहाने से
हर घर चहक उठता है कँगन की खनक से
बैर-भाव भूलकर सब एक हो जायें ऐसे
सब रंग मिल जाते हैं जैसे पर्वों के मिलन से
होली, ईद और दिवाली से दिल्लगी करके देखो
झोली भर जायेगी हम सबकी खुशियों से।
