I'm अक्षरश : and I love to read StoryMirror contents.
रोज़ हम अंग्रेजी को बढ़िया बताते रहे, आया हिन्दी दिवस तो हिन्दी का शोर मचाने लगे। रोज़ हम अंग्रेजी को बढ़िया बताते रहे, आया हिन्दी दिवस तो हिन्दी का शोर मचाने लग...
घर की देहरी भी उनके आने की बाट जोहने लगी, उस इंतजार की घड़ी की रवानी वो अजीब थी। घर की देहरी भी उनके आने की बाट जोहने लगी, उस इंतजार की घड़ी की रवानी वो अजीब ...
रंग-रूप अलग हैं ख्याल,तरंग अलग हैं, इस वसुधा के तो देखो ढाल और ढंग अलग हैं। रंग-रूप अलग हैं ख्याल,तरंग अलग हैं, इस वसुधा के तो देखो ढाल और ढंग अलग हैं।
होली, ईद और दिवाली से दिल्लगी करके देखो झोली भर जायेगी हम सबकी खुशियों से। होली, ईद और दिवाली से दिल्लगी करके देखो झोली भर जायेगी हम सबकी खुशियों से।
कमल जिसके साजत, वो वसुधा वाग्देवी, कमल जिसके साजत, वो वसुधा वाग्देवी,
गंगा के जैसी ये अकलुश निर्मल मातृभूमि है मेरी, ये पावन धरणी मेरी, ये मातृभूमि मेरी। गंगा के जैसी ये अकलुश निर्मल मातृभूमि है मेरी, ये पावन धरणी मेरी, ये मातृभूमि...
नदिया की बहती धार है माँ पेड़ों की शीतल छाँव है माँ! नदिया की बहती धार है माँ पेड़ों की शीतल छाँव है माँ!