भावना
भावना
भावनाओं की अपनी यूँ तो कहानी वो अजीब थी,
कुछ अकथित से किस्सों की दास्तां वो अजीब थी।
बुजुर्ग करते रह गए आस अपने बच्चों से,
उस उम्मीद की डोर की अनकही जिंदगानी वो अजीब थी।
घर की देहरी भी उनके आने की बाट जोहने लगी,
उस इंतजार की घड़ी की रवानी वो अजीब थी।
मां-पिता के अश्कों की नमी कह रही थी बहुत कुछ,
उनकी नम पलकों की छिपी गाथा वो अजीब थी।
खामोशी से देखते वो रह गए इस मंजर को,
दिल में छिपे दर्द की कहानी वो अजीब थी।