ख़ुशियाँ बाढ़ ले गई मेरी
ख़ुशियाँ बाढ़ ले गई मेरी
जिंदगी में आग भर गई ,
मुझको वो तबाह कर गई ।
ख़ुशियाँ बाढ़ ले गयी मेरी,
सारी हसरतें भी मर गई ।।
मेघ ऐसे बरसे टूटकर ,
हो गया था सब इधर उधर ।
हर तरफ था पानी पानी बस,
बरखा ढा गई थी वो कहर।।
याद तबाही है आज तक,
जिन्दगी में ग़म वो भर गई ।
ख़ुशियाँ बाढ़ ले गई मेरी ,
सारी हसरतें भी मर गई।।
घर सभी वीरान हो गए ,
दर्द की दुकान हो गए।
अब सिरों पे छत नहीं कोई,
अब सहन प्रधान हो गए ।।
आसमानी छत को देखकर ,
रूहे फलक तक सिहर गई ।
ख़ुशियाँ बाढ़ ले गयी मेरी ,
सारी हसरतें भी मर गई ।।
गाय भैंस बकरियों का धन ,
जल में हो गया सभी दफ़न।
फसलें खेतों की चली गई ,
तन हुआ हो जैसे निर्वसन।।
कुछ पलों में निर्दयी चमक,
चेहरे से मेरे किधर गई।
ख़ुशियाँ बाढ़ ले गयी मेरी,
सारी हसरतें भी मर गई।।
कजरा मेरी आँख का धुला,
आँसुओं की धार में घुला ।
स्वाद हो गया है बे मज़ा ,
जब गले हँसी रुदन मिला।।
मांग सिंदूरी न हो सकी,
स्वप्न की मीठास झर गई ।
ख़ुशियाँ बाढ़ ले गई मेरी ,
सारी हसरतें भी मर गई ।।