खुशी
खुशी
खुशी की क्या परिभाषा माने,
मुस्कुराहट की क्या सीमा बांधें।
कोई देकर खुशी पाता है,
कोई छीनकर तसल्ली पाता है।
कोई संपन्नता का दिखावा करता है,
तो कोई सादगी में खुशी पाता है।
सही मायनों में हमारे विचार ही हमें खुशी देते हैं,
हमारे दृष्टिकोण ही हमें दुख पहुंचाते हैं।
संतुष्टि से ही असल खुशी मिलती है,
अधिक अपेक्षाएं तकलीफ पहुंचाती हैं।
मेहनत से ही सफलता मिलती है,
किस्मत के सहारे न जिंदगी चलती है।