" खुशी के पल "
" खुशी के पल "
बहुत छोटे -छोटे होते है
खुशी के पल।
बिखरे हैं चहूं ओर हमारे
नजरिया सही हो तो
नजर आ ही जाते है।
जहां भी मिले ,चुरा लो
खुशी के ये पल।।2।।
नभ में उड़ते चहकते परिन्दो में है,
रंगबिरंगे फूलों में, भंवरों के गुंजन में है।
तितलियों के सुन्दर पंखों में, बागों की हरियाली में है
इठलाते झरनों के मधुर संगीत
नदियों की कल-कल ध्वनि
वर्षा की गिरती बूंदों में
इन्द्रधनुष के सप्तरंगों में छिपे है
खुशी के ये पल।।2।।
खिलखिलाते बचपन के भोलेपन में है
मुस्काते चेहरों की हर एक
चितवन में, मित्रों संग गपशप में
दुख दर्द बांटते अपनेपन में मिल जाएंगे
खुशी के ये पल।।2।।
माता-पिता के लाड दुलार में
भाई-बहन के स्नेह प्यार में
पति-पत्नी के त्याग समर्पण
खट्टी मीठी तकरारों में
अनगिनत बिखरे पड़े हैं
खुशी के ये पल कहती 'चंदा'
चाहे जितना समेट लो
आंचल में अपने, समा न सकेंगे, इतने हैं ये। खुशी के पल।।2।।