" करुणा भाव "
" करुणा भाव "
होता अनन्य साधारण महत्व
मानवीय मूल्यों का जीवन में।
ईश्वरीय सृष्टि में अनेक भाव है समाए
सबसे ऊँचा श्रेष्ठ भाव
दिल में रखो करुणा भाव।
दया, प्रेम, करुणा, स्नेह से
मिटाओ जगत से संत्रास
अंधेरा न रहे किसी घर में
फैलाओ इतना करुणा उजास।
देख दशा दुखी- दरिद्री, दीन- हीन की
करुणा जागे मन में तुम्हारे
इतनी मदद तुम कर देना
जरूरत पूरी हो जाए उसकी।
पीसे जा रहे बालक
बाल मजदूरी में जहाँ कहीं
नज़र तुम्हारी जब पड़ जाए
मुक्ति दिलाना उनको वहीं।
किसी अबोध कन्या की सुन चीत्कार
हृदय द्रवित जब हो जाए
मदद करने दौड़ पड़ो तुम
देर न फिर हो जाए।
करुणा भाव न हो मन में तो
व्यर्थ है दुर्लभ मानव जीवन
ईश्वर से पाया यह तन हमने
मदद जरूरत मंद की कर लो।
जीवन सफल, सार्थक बना लो।