" विश्व नंदिनी हिन्दी "
" विश्व नंदिनी हिन्दी "
रत्नाकर- सी गहन गंभीर हिन्दी
स्नेह पूरित,भावमयी, लावण्यमयी
ओज, तेज, प्रकाश लिए
जग से न्यारी हमारी हिन्दी.
अनुपम, अलौकिक रुप इसका
बांधती सबको एक सूत्र में
आत्मा में समाई रहती
सहज अभिव्यक्ति भावों की होती.
सभी भाषाओं में सर्वोपरि हिन्दी
गंगा- सी पावन, फूलों- सी मनभावन
जगविख्यात, हृदयतल में शोभायमान
गागर में सागर है हिन्दी.
भारतीय सभ्यता की पहचान हिन्दी
विनम्रता की खान, रसों की फुहार
प्रेमपूर्वक समाहित होती
हमारी संस्कृति को गुलज़ार करती.
सभी भाषाओं की मुकुट मणी हिन्दी
दिलाई जग में पहचान देश को
जगत् उद्धारिणी, विश्व वंदिनी
संस्कारों की जननी हिन्दी.
