" क्षमा भाव "
" क्षमा भाव "
क्षमा मानव का सर्वोच्च गुण
परिचायक है मन की उदारता का
होता विशाल हृदय जिनका
'गहना' है क्षमा उनका.
चाहे अनचाहे गलती सबसे होती
स्वीकार गलती कर लो भाई
क्षमा मांग लो, क्षमा कर दो.
राज यही सुखी जीवन का.
दुर्बल विकारों से भरे मन जिनके
वे क्या जाने प्रभाव क्षमा का
क्षमा जो कर देता किसी को
वो ऋणी हो जाता उसका.
झगड़ा- टंटा सर्वत्र ही होता
समझो एक दूजे के भावों को
नफरत घर जलाती,तन- मन दुखी होता.
त्यागो ऐसे विष भरे विकार.
अपनाओ क्षमा भाव, नफरत का करो निदान.
सनातन धर्म हमारा, क्षमा भाव सिखलाता.
अपनाते जीवन में जो इसको
मान- सम्मान समाज में पाते
जीवन खुशहाल बनाते है)