"घमंड मानव का प्रबल शत्रु "
"घमंड मानव का प्रबल शत्रु "
क्षणभंगुर है मानव जीवन
सद् कार्यों में लगाएं इसे हम।
अपनाएं सभी मानवीय मूल्यों को
जीवन सफल सार्थक करें हम।
जग भरा पड़ा प्रलोभन से
लोभ ,मोह, क्रोध ,अहंकार
शत्रु है सभी मानव जीवन के,
तबाह जीवन हमारा करते।
"घमंड " सबसे विघातक शत्रु हमारा
बोलता मन मस्तिष्क पर चढ़कर
चढ जाता जिसके माथे पर
ज्ञान उसे नहीं हो पाता।
असंभव को संभव बनाने की
बड़ी-बड़ी बातें वह करता
डींगे प्रतिपल वह हांकता
नहीं किसी की वह सुनता।
अहंकार में डूबा मानव
सर्वोपरि निज को मानता।
समझाने से नहीं समझता ।
दरारें रिश्ते नातों में आ जाती।
मित्र सभी साथ छोड़ जाते।
शनैः शनैः गिरता विनाश के गर्त में
होश फिर भी नहीं आता।
समय रहते संभल जाओ भाई
यूं कुल्हाड़ी ना अपने पैरों पर मारो
परित्याग घमंड का जड़ से कर दो।
सभी अपनों को गले लगाओ।
जीवन सुखी अपना बनाओ।