खुद से रूबरू हैं
खुद से रूबरू हैं
खुद से रूबरू हुये
आईने में भी
ख़याल में भी तो देखा
खुद को
और जाना खुद को।
हमारे सुंदर और शक्तिमान
बनने के मंसूबे
हमारे निकम्मेपन से धूमिल हो रहे हैं
और जिद इतनी कि
सर्वशक्तिमान हमी है
बुद्धिमान हमी हैं
यकीनन बनने संवरने और
और अपनी जिद को
स्थापित करने में
हमारा कोई जोड़ नहीं है
ये बात और है कि
हमारे सामने हमारी मर्यादा
तार तार हो रही है
हमारी सभ्यता का मजाक
उड़ाया जा रहा है
और हमारा लोकतंत्र
कानून से नहीं जुबान से
चल रहा है
घमासान द्वंद है
और हम खुद को ब्यक्त करने की
कोशिश में हैं
कोई कुछ भी कहे
हम अपने घर लौट रहे हैं
अपने को बाजार में छोड़कर।
