खुद को समझती हूं
खुद को समझती हूं
अपनी ही गुस्ताखियों से टूटी हूं,
इसलिए खुद से ही रुठी हूं।
खुद की बातों को नज़रअंदाज़ करती हूं,
मिलकर खुद से खुद को अनजान रखती हूं।
शिकायतें खुद से खुद की करती हूं,
और उलझन में डाल खुद को खुद पर हंसती हूं।
दूसरों की बातें सुनकर थक चुकी हूं,
अब खुद की बातें खुद से करती हूं।
खुश हूं, खुद से खुद को समझती हूं,
औरों की तरह दूसरों की जिंदगी बिना जाने
खुद की राय नहीं रखती हूं।
