ख़ुद के सवाल ख़ुद के जवाब।
ख़ुद के सवाल ख़ुद के जवाब।
कई बार हम ख़ुद से सवाल करते हैं,
कई बार हम स्वयं जवाब भी देते हैं।
सामने वाले से जवाब नहीं माँगते हैं,
नजरिया क्या ना ही जानना चाहते हैं।
जैसे एक सिक्के के दो पहलू होते तो,
वैसे ही उनके हालात भी हो सकते हैं।
सभी के निपटने के अपने ढंग होते हैं,
कोई परेशान हो तो कोई डरता भी हैं।
मतलब ये ना कि परवाह नहीं करते हैं,
भरोसा हो तो भी दूरियाँ वजह बनी हैं।
