खतों की दुनिया
खतों की दुनिया


वो खतों की दुनिया ही थी बेहतर,
जहां न डी पी की फिक्र थी न कोई
किसी को आंकता एक पिक से कमतर,
जहां रिप्लाई न आने का दुःख होता था,
न होता था लास्ट सीन,
न ही जहां बार बार चेक की जाती थी स्क्रीन,
खतों की दुनिया में थे अहसास,
जब दूर होकर भी लोग होते थे पास,
आज मोबाइल और तरह तरह के
एपों ने इंसान को कर दिया है दूर,
एक ही कमरे में रहकर जहां एक दूसरे की
खबर नहीं उन्हें हुज़ूर,
खतों की दुनिया ही बेहतर थी,
जहां ज़ज़्बात थे सच्चाई थी थी वफादारी,
जब लोग समझते थे अपनी ज़िम्मेदारी,
खतों की दुनिया ही बेहतर थी,
जहां न कोई ब्लॉक करता था न
होती थी फ्रेंड रिक्वेस्ट की होड़,
जहां नहीं था इंसान मतलबी न था
झूठ दिखावे का शोर,
खतों की दुनिया ही बेहतर थी,
जहां बातें होती थी सिर्फ एक इंसान से
उसी का रहता था इंतज़ार,
जहां बेवफाई नहीं थी
सिर्फ एक ही से होता था प्यार,
खतों की दुनिया ही बेहतर थी,
जहां लोग रिश्ते निभाते थे,
बिना कहे ही अपनों का
दर्द बांटने चले आते थे,
खतों की दुनिया ही बेहतर थी,
जहाँ नहीं होता था अकेलेपन का
अहसास,
दूर होकर
भी जब लोग होते थे पास।