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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Comedy Drama Inspirational

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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Comedy Drama Inspirational

कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा

कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा

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कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


पशुओं की बहिष्कार जात पात,

कुत्ता बिल्ली शेर सियार,

पहचान होगी तेरी।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


किट मकोड़े तुझ पे हावी,

तितली तलैया भी तू कहलाए।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


तेरा जाति पाती और धर्म कर्म,

हम जैसे में बट जायेगा।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


देख "निर्मुणी"मुस्कराया,

श्वान करे इंसानों से दंगल,

इंसान देखत रह जाए "निर्मुणी"।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


बिल्ली होगी तेरी मौसी,

बंदर मामा शेर चाचा कहलाएगा,

सब मिल बाट खाए तेरा खाना।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


कल युगी नेता करे खुलेआम,

जाति पाती धर्म कर्म की नीलामी,

पाए वोट बैंक व गांधी बाबा की छपी नोट।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


तेरे धर्मों के स्वामी,

लाल टीका सफेद टोपी,

नेताओं के सामने शीश झुकाए,

जानता को मूर्ख बनाएगा।


जग में आए पहले,

आकर तू उज़ारे जग को,

भरोसा करे कोई कैसे।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


अगर तू न जायेगा धर्मस्थलों पे,

तुझे निकल बाहर करेंगे ये पाखंडी।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।


तेरी मानवता धर्म कर्म की मोल,

गांधी बाबा की छपी नोट नोट अनमोल।


कहत आदि अ वासी "निर्मुणी" बाबा,

ये कल युग नहीं घोर कल का युग,

इंसान इंसान कहने से घबराएं।


पशुओं जैसी होगी स्वभावबोली,

भू भू भों भो, खी खी खो खो,

श्वान भी शर्म से मुख छुपाएगा।



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