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Bhavna Thaker

Romance

4  

Bhavna Thaker

Romance

कहो न कौन हो तुम

कहो न कौन हो तुम

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क्या कहूँ अफ़शां सी तुम्हारी चाहत 

कितना लुभाती है एहसास को, 

नखशिख झूम उठी मिलते ही नज़रें, 

दमकती है आरज़ूएँ 

पाकर नगीने सी प्रीत को। 

मुस्कुराता है जहाँ 

मिल गया है जैसे जन्नत का सुख 

जिगर को, जानें क्या जादू है 

तुम्हारी आगोश में, 

महसूस होता है कोई सुरीला 

तुम गीत हो।

कहो न कौन हो तुम 

मेरे सपनों में रंग भरने वाले 

खुशियों का समुन्दर, या प्रेम का आसमान हो, 

भीगो दिया चाहत की बारिश कर 

मेरे रोम-रोम को।

बेनूर थी ज़ीस्त 

सराबोर सुगंधित हो गई छूते ही 

तुम्हारे नेह को, 

धड़कन के हर तार से उठने लगी 

सुरीली लय जैसे हृदय मेरा 

वाद्यों की तान हो।

आस न थी उम्मीदों को 

अचानक पा लूँगी तुम्हें 

रखना यूँ ही सीप में मोती सी

सहजकर अपने उर में हरदम

खयालों ने तराशा था एक चेहरा

तुम हूबहू उस तस्वीर का रुप हो।



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