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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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खज़ाना

खज़ाना

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बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख

इस कहावत का अर्थ वो रहा था सीख 

नौकरी के लिए न जाने कितने पापड़ बेले

पर नौकरी पानेे में थे कितनेे सारे झमेले


भगवान से प्रार्थना वो हर रोज़़ था करता

मां पिता का वही था इक आखिरी सपना

उसकी मेहनत आखिर रंग लाई

मनचाही नौकरी की कालॅ आई


पर देखा अपने से भी ज्यादा जरूरतमंद 

अपनी जगह उसे दे नौकरी चल पड़ा

फिर नई नौकरी की तलाश में

तभी दरवाजे पर उसे मिला इक कागज़ का टुकड़ा


उस पर बना था इक नक्शा पर था बड़ा पेचिदा

किसी तरह उसने नक्शे की गुत्थी सुलझाने

पहुंच गया वहां नक्शे में जो जगह थी बताई

आंखों को विश्वास हुआ नहीं दौलत इतनी देखकर


किस्मत इक पल में बदल गई जो बैठी थी मुंह फेरकर

उसे विश्वास हो गया सच में

जो दूसरों की करता है सहायता

ईश्वर उसकी सुनता है हमेशा प्रार्थना।


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