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yasmeen abbasi

Tragedy

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yasmeen abbasi

Tragedy

खिलौना

खिलौना

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आदमी के लिए औरत 

केवल एक खिलौना भर ही तो है 

और जब औरत को 

पता चलता है कि 

वह ऐसे कई खिलौनों से 

खेल चुका है अब तक

और अब वे तमाम खिलौने

उसके लिए बेकार हो चुके हैं 

जिनसे वह अब तक 

खेलता आ रहा था

दिल बहलाने के लिए 

और अब वह खुद भी

एक खिलौने के रूप मे 

उसके मन की पहली पसंद 

बनी हुई है 

यहाँ यह काबिले गौर है कि 

नये खिलौने रूपी 

इस औरत को भी 

बेहद प्रिय है यही 'खिलाड़ी'

बावजूद यह जानते हुए कि

उससे खेलने वाला यह 'खिलाड़ी'

एक दिन फेंक देगा उसे भी 

उन्हीं खिलौनों की तरह 

या किसी मूरत की भांति 

एक कोने में ले जाकर 

खड़ा कर देगा 

और उसकी जगह 

दिल बहलाने के लिए

ले आएगा फिर कोई 

एक और नया खिलौना 

उफ्फ !

फिर भी यह 

नया खिलौना रूपी औरत 

यह रत्तीभर भी मानने को तैयार 

नहीं है कि 

एक दिन वह भी 

पड़ी होगी किसी कोने में 

कबाड़ हो चुके 

उन बाकि 'खिलौनों की तरह!

       


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