ख़्वाहिशें
ख़्वाहिशें

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इश्क़ में कुछ ख़्वाहिशें
मिली और कुछ ज़ख्म मिले
वक़्त ने सुईयाँ चुभोकर
ख़्वाहिशों पे पैबंद लगा दिए
और तस्वीर उसकी दूरियों के
ज़ख्म रफू कर गयी
पर अब पैबंद से झांकती
हसरतों का क्या करूँ?
इन ज़ख्म के निशानों
का क्या करूँ?