STORYMIRROR

Debashish Nandan

Romance

2  

Debashish Nandan

Romance

ख़्वाहिशें

ख़्वाहिशें

1 min
277

इश्क़ में कुछ ख़्वाहिशें

मिली और कुछ ज़ख्म मिले

वक़्त ने सुईयाँ चुभोकर

ख़्वाहिशों पे पैबंद लगा दिए


और तस्वीर उसकी दूरियों के

ज़ख्म रफू कर गयी

पर अब पैबंद से झांकती

हसरतों का क्या करूँ?

इन ज़ख्म के निशानों

का क्या करूँ?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance