ख़ुशी
ख़ुशी
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मुझपे रोज़ अपनों ने जुल्म करे आज़म
हर रोज़ निगाहों से आंसू है बहे आज़म
अपनों ने नहीं खुशियों से मेरा भरा जीवन
जीवन ग़मों से मेरा हर रोज़ भरे आज़म
दिल लगता नहीं मेरा अब गांव में बिल्कुल भी
अब और कहीं देखे हम आओ चले आज़म
हाँ जीत मिलेगी इक दिन प्यार वालों को ही
नफ़रत वालों से ही हम तो जंग लड़े आज़म
लेकिन एक भी तो अपना सा न लगा कोई
राहों में न जाने इतने चेहरे मिले आज़म
क्या इतना बुरा हूँ मैं सूरत से मगर देखो
की देखकर अपनें ही मुझसे क्यों जले आज़म
भर दें रब ख़ुशी से मेरा जीवन करम कर दें
ग़म कब तक भला जीवन में यूं ही सहे आज़म
की प्यार के मैंनें जिसको फ़ूल दिये हर पल
वो मारने को ही ख़ंजर आज उठे आज़म
आज़म नैय्यर