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Sajida Akram

Abstract

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Sajida Akram

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ख़ुबसूरत लम्हें

ख़ुबसूरत लम्हें

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पुरानी यादों को सहेज,

रखा है हमने,, स्कूल की,

वो पुरानी बैंच वो दोस्तों का हुजूम

अक्सर एक जगह बैठकर बतियाना,

दोस्तों के साथ कभी अंताक्षरी खेलना,

कॉपी में लुडो के चार ख़ाने बनाकर,

खेलना यहीं ख़ुबसूरत लम्हें सहेजे है,

हमने कभी मिल -बांक कर लंचबॉक्स

किसी दूसरे का हज़म कर जाना.....!



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