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aazam nayyar

Abstract Romance Tragedy

4.2  

aazam nayyar

Abstract Romance Tragedy

ख़फ़ा मत होना सनम

ख़फ़ा मत होना सनम

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192


उम्रभर के लिये बेवफ़ा हो गया !

जिंदगी के लिये वो जुदा हो गया


सोचता था निभायेगा मुझसे वफ़ा 

प्यार में साथ मेरे दग़ा हो गया 


गुफ़्तगू किससे दिल की करे अब भला

गुम कहीं वो यहां आशना हो गया


बात कोई भी माने नहीं प्यार से 

इस क़दर आज वो ही ख़फ़ा हो गया


प्यार का ढल गया है मौसम ए क़रार 

नफ़रतों का शुरू सिलसिला हो गया


लूट गयी जिंदगी से ख़ुशी प्यार की 

ए ख़ुदा साथ मेरे ये क्या हो गया 

  

टूट गये प्यार के धागे वफ़ा से बंधे

उससे अब रिश्ते में फ़ासिला हो गया


दें गया वो आँखों से इशारा ऐसा 

जीवन भर प्यार की वो दवा हो गया


नफ़रतों की गली में खोया हूँ मैं तो

प्यार का वो जुदा रास्ता हो गया


और वो जा चुका रह गया बोलता 

आज फ़िर बातों से अनसुना हो गया 


क्यों बैठा है उदासी लिये चेहरे पे 

तू बता क्या मगर माजरा हो गया 


तोड़ गया हर वादे प्यार के वो आज़म

साथ मेरे ऐसा वाक़या हो गया

आज़म नैय्यर 



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