STORYMIRROR

Jyoti Durgapal

Children

4  

Jyoti Durgapal

Children

खेल

खेल

1 min
367

खेल खिलौने बचपन के, कभी रूठना कभी मनाना। 

लुका-छिपी कभी खेलना, कभी रेत के घर बनाना।।


कभी मिलकर रेल बनाना, तितलियाॅ पकड़ने जाना।

कागज की नाव बनाना और पानियों में छींटे उड़ाना।।


कभी लूडो, कभी कैरम,कभी खोखो तो कभी कबड्डी में समय बिताना। 

बचपन के हर खेल निराले, जब याद आये तब मन ही मन मुस्काना ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children