कहाँ तक कहो कोई तन्हा जीएगा
कहाँ तक कहो कोई तन्हा जीएगा
तरन्नुम का जादू जगाया गया है,
मोहब्बत का नग्मा सुनाया गया है।
नजाकत से बज्म सजाई गई है ,
चला आया जो भी सताया गया है।
नज़र में समाई हसीं ऐसी सूरत,
बड़ा शोख जलवा दिखाया गया है।
चले आये हैं सब यहाँ खिचे-खिचे,
दीवाना सभी को बनाया गया है।
कहाँ तक कहो कोई तन्हा जीएगा,
उम्मीदों का दामन बिछाया गया है।
रहे जिंदगी में जो अपने अधूरे,
उन्ही को यहाँ आजमाया गया है।
तड़पती रही जिंदगी जिनकी मासूम,
यहाँ उनका ईमान डगमगा गया है।