कहाँ ले जाएं इस दिल को...
कहाँ ले जाएं इस दिल को...
कहाँ ले जाएं इस दिल को ये कहीं लगता नहीं,
हर पल तुझको हर महफ़िल में तलाशता है,
जितना भी समझाएं इसको जितना भी बहलाएं,
मेरी किसी भी बात को ये मानता नही,
काश! ये मेरा दिल होता तो शायद सुन भी लेता,
मेरा दिल तो तुम संग अपने ले गए अपना थमा गए,
तेरा दिल तो ये बहुत ही ज़िद्दी है अपनी हर बात मनवाए हमसे,
चाह कर भी हम कुछ कर नही पाते हार जाते हैं,
नदी के दो किनारो की तरह हम संग संग चल रहे हैं,
कब होगा मिलन हमारा ये तो रब ही जानता होगा,
रब से तो हम लड़ नही पाते तुझसे लड़ लेते हैं कभी कभी,
फिर कुछ पलों की नोक झोंक प्यार में बदल जाती है।