खामोशी
खामोशी
कहना चाहती हूं पर कह पाती नहीं,
सोचती हूं उसके बारे में
सोचे बिना रह पाती नहीं।
उसकी खामोशी ही सब कह देती है
पर मेरी चाहत उससे सुनना चाहती ही नहीं
वो हमसे दूर जाना चाहता है
और हम उसके उतना ही पास जाना चाहते।
ख़ामोश होते हैं तो वह पूछते है
तुम कुछ कहती क्यों नहीं
और जब कुछ बोलूं
तो कहते हैं चुप रहती क्यों नहीं
कुछ कहने से तो खामोशी बेहतर है
क्योंकि कुछ गलत कहने का एहसास नहीं होता