Harshita Gupta
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यह दुनिया तो मुसाफिरों का मेला है
और यह सफर अकेला है
मंजिल की राह मै कोई इधर जाता है
तो कोइ उधर जााता है
लेकिन इन मतलबी लोगों के बीच कुछ नही पाता है
सफर सच्चा है
तभी तो अच्छा है।
तुम
बेटी बनी मां
कान्हा सी प्र...
जिंदगी की बात
नारी एक दर्पण
हमसफर
पिता
राही
खामोशी
सफर अकेला है