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Harshita Gupta

Abstract Others

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Harshita Gupta

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नारी एक दर्पण

नारी एक दर्पण

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समाज की यह बीमारी है,

भाई वो तो एक नारी है।

जब से उसने जन्म लिया,

उसको सबने अनदेखा किया।

वो सब काम मैं सबसे आगे थी,

वो खुद के लिए दुनिया से भागी थी,

उसके भी कुछ सपने थे,

उसे लगता था सब उसके अपने थे,

वो दूसरों के लिए समर्पण थी,

वो नारी समाज का दर्पण थी,

जग ने उसपर ताने कसे वो तब भी न हारी थी,

समाज यह बीमारी थी,

भाई वो तो एक नारी थी।।


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