बेटी बनी मां
बेटी बनी मां
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कल तक बेटी थी,
आज मां भी है,
कल तक खुद अपनी मां की गोद में लेटी रहती थी,
आज अपनी बेटी को सुलाती है,
मां देखती है उसकी बेटी मां बनकर अपने अंश को संभालती है,
वो बेफिक्री अब उसमे बची नही है,
कितने दिनों से वो खुद के लिए सजी नही है,
बेटी अब मां सी लगने लगी है,
यह कहानी फिर से दोहराने लगी है,
जेसे मां खुद से पहले उसके लिए सोचा करती थी,
वो भी हुबहु करने लगी है,
बेटी अब मां बनने लगी है,
खाना खुद न खाए तब भी उस बच्चे की चिंता है,
ऐसा भला मां के अलावा कोन ही करता है,
मुश्किल है मां बनना बेटी हर कोई बनता है,
मां का एहसास मां बनकर ही पता चलता है।