खामखां
खामखां
खामखां तो सिर्फ बदनाम हुये हैं,
खास होते जो वही बर्बाद किये हैं।
सब्र में टूटा नहीं जज़बातों के ऐतवार से,
तेरी खबर तक न लौटी यूं तेरे इंतजार में॥
चित उसका था मन मेरा था,
वह कश्ती थी मैं पतवार था॥
हमने विश्वास को समझा, तुमने प्यार को समझा,
जरुरत क्या थी जो जरुरत को तुमने इश्क़ समझा।
