खाली जेबें
खाली जेबें
बहुत कुछ संभाल कर संजो रही थी,
जिंदगी की जेब में।
कई बचपन की मासूम यादें,
कुछ शैतानियां और शरारते,
कुछ रूठने मनाने की चासनी में लिपटी यारियां,
कुछ चोरी छुपे घूमने की सजाएं।
कुछ बारिश के भीगे पल,
कुछ खिलखिलाती शामें।
कुछ मां की सीख और कुछ पिता का दुलार।
सब समेटती जा रही थी जिंदगी की जेब में,
और इस खजाने को देखकर मगन होती हर पल।
पर समय ने करवट बदली,
जाने कैसे वह यादों की जेब फटी।
बिखरने लगी सभी खुशियां एक-एक कर,
दूर होने लगे वह पल।
पर मुझको ना हुई खबर।
कामयाबी के जश्न में डूबा,
बेखबर चलता रहा।
शिखर पर पहुंचकर जब,
जेब टटोलने लगा,
खाली फटी जेब मिली,
सभी यादों के खजाने खो गए।
उस शिखर पर मैं था और बस,
खाली फटी जेब।