Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

बिट्टू सोनी

Abstract

4.5  

बिट्टू सोनी

Abstract

पहला इश्क़

पहला इश्क़

1 min
308


गर ताउम्र जवां है जवानी का इश्क

तो इस इश्क के महफ़िल में जिंदा हो

कल हुई आज ख़तम वाली मोहब्बत 

पर क्यों तुम आज शर्मिंदा हो।


लिखा करो मोहब्बत जैसे भी करके

रखना उसे याद दोनों की तरफ से

गर भूल गए उस पहले इश्क की मिठास

ना रास आने वाली किसी से अगली मुलाकात।


पत्ते पर मैंने कभी नहीं किया इज़हार

गर है इश्क किसी से तो क्यों करते इंतजार

लिख कर दो उसे इस तौर से

क्यों शर्माते हो आज के दौर से।


श्रृंगार अगर कोई भी करे तुम्हारे सामने

तो उसे पहली वाली की तरह बनाना

पूरे तो नहीं बस थोड़ा करके 

पहली इश्क को बचा जाना।


इस क़दर बटन पर उंगलियां घुमाना

के बन्द होते होते भी खुल जाए दुबारा

यूं भूले बिसरे याद करके इस मौके पर 

पहले मोहब्बत की तरह हो जाना।


गर चलते चलते इश्क होता है 

तो यह सभी उसके पैगाम

पहली महबूबा बनकर गढ़ी है

तो पसंद के चेहरे पर आएगी याद।


रूह तुम्हारा अभी भी वही है 

अब जिस्म लेकर करते हो प्यार 

गर पहली मोहब्बत सच्ची है

तो वो जन्नत तक रहेगी बरक़रार।


एक कदम चलते हो तो 

दूसरा उसकी तरह रखना

गर किस्सा बन ही गया है तो

उसको आज भी जारी रखना।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract